
आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन
शाम का जादू हर सुब्ह जब मैं जागता हूँ मुझे शाम की ख़्वाहिश बेचैन करने लगती है और मैं काग़ज़ … Continue reading आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन
शाम का जादू हर सुब्ह जब मैं जागता हूँ मुझे शाम की ख़्वाहिश बेचैन करने लगती है और मैं काग़ज़ … Continue reading आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन
मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हीरा पायो गाँठ गठियायो, बार बार वाको क्यों खोले। हलकी थी तब चढ़ी तराजू, … Continue reading Poems of Kabir : कबीर बानी
उर्दू से लिप्यंतरण : मुमताज़ इक़बाल मुनीर मोमिन सुपरिचित, सम्मानित और समकालीन बलोची कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत बलोची नज़्में उनके … Continue reading आज की पंक्तियाँ:मुनीर मोमिन: ख़्वाब
हद-बंदी-ए-ख़िज़ाँ = setting limits of autumn, हिसार-ए-बहार = circle of spring रक़्स = dance Continue reading आज का चुनिंदा अशआर : साक़ी फ़ारूक़ी
स्वस्तिक क्षण नृत्य की मुद्रा में कसा हुआ लगता जीवन! आँगन में पड़ी हुई पायल-सी धूप! छूम छनन छन! घुँघरूओं … Continue reading स्वस्तिक क्षण दुष्यन्त कुमार
मय-ए-हयात में शामिल है तल्ख़ी-ए-दौराँ जभी तो पी के तरसते हैं बे-ख़ुदी के लिए मय-ए-हयात = wine of existence, तल्ख़ी-ए-दौराँ … Continue reading चुनिंदा अशआर : ज़ेहरा निगाह
लड़की कैक्टस थी बहुत से लोगों की आँख में चुभती रही वह लड़की काँटा थी या थी— पूरा का पूरा … Continue reading लड़की कैक्टस थी : वियोगिनी ठाकुर
source : sadaneera.com Continue reading आज की पंक्तियाँ
तुम्हारी आँखें कुछ बोलती रहीं आज सारा दिन सूरज मेरे कंधे पर सवार रहा आज सारा दिन खूँटी से टँगे … Continue reading सारा दिन : मृगतृष्णा
पैकर = body Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
हर्फ़ नाकाम जहाँ होते हैं उन लम्हों में फूल खिलते हैं बहुत बात के सन्नाटे में .. लब पर उगाऊँ … Continue reading कुछ चुने हुए शेर : मरग़ूब अली
मधुशाला : कुछ उद्धरण मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्या बनाता हूँ हाला भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का … Continue reading मधुशाला : हरिवंशराय ‘ बच्चन ‘
ख़ुलूस-ए-दिल = purity of heart सज्दा = To bow down in devotion and faith जबीं = forehead Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
शब्दों का दुःख आदमियों की तरहशब्दों के दुःखों की सूची भीख़ूब लंबी है। शब्दों में भी होती हैबहुत कुछ अनकही … Continue reading शब्दों का दुःख : दुर्गा प्रसाद पंडा
परवरिश-ए-लौह-ओ-क़लम = maintaining the pen & paper रक़म = writing, money, wealth Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
बारिश के रंग बारिश के रंग जिस तरहफूल-पत्तियों और घासों में खिलते हैंठीक उसी तरहहमारे हाथों में खिलते हैंजिस तरह … Continue reading बारिश के रंग : प्रमोद पाठक
आप सबन में सब तें न्यारे चार बुद्धि के मनुष सँवारे प्रथम बुद्धि जल लीक खिंचाई खिंचती जाय सोइ मिटि … Continue reading चौपाई : सहजो बाई
नया है शहर नए आसरे तलाश करूँ तू खो गया है कहाँ अब तुझे तलाश करूँ जो दश्त में भी … Continue reading ग़ज़ल : मोहसिन नक़वी
हुजूम – crowd, mob Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
अब्र = cloud बातिन = the mind, the heart मंज़र = spectacle लहज़ा-ए-इदराक = moment of senses, awareness Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
My favourites are 3’rd, 5’th & 6’th sher. छलक रही है मय-ए-नाब तिश्नगी के लिए सँवर रही है तिरी बज़्म … Continue reading गज़ल : ज़ेहरा निगाह
मुद्दआ = matter, issue Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
उदासी के काले, धूंधले, ठंडे थपेडों के बीच ये कौन सा सफ़र बीत रहा है? एक संकरी गली से गुज़र … Continue reading कौन सी है ये गली : नेहल
चाँद तारे बना के काग़ज़ पर ख़ुश हुए घर सजा के काग़ज़ पर बस्तियाँ क्यूँ तलाश करते हैं लोग जंगल … Continue reading गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी
तजल्ली = splendour, manifestation simple explanation : This whole world( tavern ) is such a splendour, such a manifestation of … Continue reading आज का चुनिंदा अशआर
हरी-हरी दूब पर हरी-हरी दूब परओस की बूँदें अभी थीं, अब नहीं हैं। ऐसी खुशियाँ जो हमेशा हमारा साथ दें … Continue reading हरी-हरी दूब पर : अटल बिहारी वाजपेयी
….. करवटें लेंगे बूँदों के सपने अभी-अभी कोहरा चीरकर चमकेगा सूरज चमक उठेंगी ठूँठ की नंगी-भूरी डालें अभी-अभी थिरकेगी पछिया बयार झरने लग जायेंगे … Continue reading करवटें लेंगे बूँदों के सपने : नागार्जुन
शब्द नहीं गिरते शब्द नहीं गिरते समय पर वे गिरते हैं धरती पर— जिस पर गिरती है धूप, वर्षा, ऋतुएँ। … Continue reading शब्द नहीं गिरते : अशोक वाजपेयी
कुंठा मेरी कुंठारेशम के कीड़ों-सीताने-बाने बुनती,तड़प तड़पकरबाहर आने को सिर धुनती,स्वर सेशब्दों सेभावों सेऔ’ वीणा से कहती-सुनती,गर्भवती हैमेरी कुंठा–कुँवारी कुंती! … Continue reading कुंठा : दुष्यन्त कुमार
बच्चे बार-बार रटते हैं पाठ एक ही बात दुहराते हैं बार-बार इस तरह कि सुनने वाले भी ऊब जाएँ लेकिन … Continue reading ये ज़िद : शंकरानंद
आग पानी विनम्र स्त्री है वह सभी के प्रति विनम्र सभी से परिचित, और सभी के लिए अजनबी। उसकी आवाज़ … Continue reading आग पानी : मोनिका कुमार
धूप की भाषा-सी खिड़की में मत खड़ी होओ प्रिया! शॉल-सा कंधों पर पड़ा यह फाल्गुन चैत्र-सा तपने लगेगा! केश सुखा … Continue reading धूप की भाषा : श्रीनरेश मेहता
हर्फ़-ए-ना-गुफ़्ता = unsaid word ला-फ़ानी = immortal simple translation : let me write silence on the lips of ‘sher’ (verse) … Continue reading Daily Musings : 97
जा = place जल्वा-ए-माशूक़ = vision of the beloved शौक़-ए-दीदार = pleasure of seeing नज़र = vision simple translation : … Continue reading Daily Musings : 96
हरीम-ए-इश्क़ = sacred space of love हस्ती = existence simple translation: your existence itself is a crime in a sacred … Continue reading Daily Musings : 95
वे सारे फूल जिनके नाम मुझे नहीं पता वे सारे सुर मैं जिन्हें नहीं पहचानता वे सारे शब्द जो डिक्शनरी … Continue reading अनंत कलरव : निधीश त्यागी
सिर्फ तुम्हारे लिए… सिमोन (4) जानती हो सिमोन, मैं अकसर सोचती हूँसोचती क्या, चाहती हूँ पहुँचाऊँकुछ प्रतियाँ ‘द सेकंड सेक्स’ … Continue reading सिर्फ तुम्हारे लिए… सिमोन : शुभम श्री
उषा प्रात: नभ था बहुत नीला शंख जैसे भोर का नभ; राख से लीपा हुआ चौका; अभी गीला पड़ा है … Continue reading उषा : Daybreak
अफ़्साना-ए-हस्ती = story of life तर्ज़-ए-अदा = style of saying Continue reading Daily Musings : 86
सम्त = Direction, path. Continue reading Daily Musings : 85
जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं जे़हनों में ख़याल जल रहे हैंसोचों के अलाव-से लगे हैं अलाव = bonfire दुनिया … Continue reading जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं
Translation : तुख़्म = seed सर्व-ए-चराग़ाँ = graceful display of lamps, चराग़ों से जगमगाता हुआ पेड़ if time permits, (if … Continue reading Daily Musings : 66
*मुनव्वर = प्रकाशमान Translation : There is light everywhere ( I see ) Who is the luminous ( beaming with … Continue reading Daily Musings : 65
Simple Translation : ( I saw ) My soul (my life ) melting in each moment Spent night drop by … Continue reading Daily Musings : 64
जिसे लिखता है सूरज वो आयी! और उसने मुस्कुरा के मेरी बढ़ती उम्र के सारे पुराने जाने अनजाने बरस पहले … Continue reading जिसे लिखता है सूरज : निदा फ़ाज़ली
Middle Class Blues We can’t complain.We’re not out of work.We don’t go hungry.We eat.The grass grows,the social product,the fingernail,the past.The … Continue reading Middle Class Blues : मध्यम वर्ग का गाना
एक पुराने परिचित चेहरे परन टूटने की पुरानी चाह थीआँखें बेधक तनी हुई नाकछिपने की कोशिश करता था कटा हुआ … Continue reading वान गॉग के अंतिम आत्मचित्र से बातचीत : अनीता वर्मा
Everything Is Going To Be All Right How should I not be glad to contemplate the clouds clearing beyond the … Continue reading Everything Is Going To Be All Right : Derek Mahon
श्रोता कविता-पाठ करते वक़्तमेरे गले मेंअचानक से प्यास उठती है। डूब जाती है आवाज़जैसे गिर पड़ी होनदी के ऊपर से … Continue reading श्रोता : मनीषा जोषी
गांधीजी के जन्मदिन पर मैं फिर जनम लूंगाफिर मैंइसी जगह आउंगाउचटती निगाहों की भीड़ मेंअभावों के बीचलोगों की क्षत-विक्षत पीठ … Continue reading गांधीजी के जन्मदिन पर : दुष्यन्त कुमार
साबुत आईने इस डगर पर मोह सारे तोड़ले चुका कितने अपरिचित मोड़ पर मुझे लगता रहा हर बारकर रहा हूँ … Continue reading साबुत आईने : धर्मवीर भारती
मैं जितनी भी ज़बानें बोल सकता हूँ वो सारी आज़माई हैं… ‘ख़ुदा’ ने एक भी समझी नहीं अब तक, न … Continue reading नज़्म : गुलज़ार
गीत मेरे गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन। एक दुनिया है हृदय में, मानता हूँ,वह घिरी तम से, इसे भी … Continue reading गीत मेरे : हरिवंशराय बच्चन
बारिश दिन ढले कीहरियाली-भीगी, बेबस, गुमसुमतुम हो और,और वही बलखाई मुद्राकोमल शंखवाले गले कीवही झुकी-मुँदी पलक सीपी में खाता हुआ … Continue reading दिन ढले की बारिश : धर्मवीर भारती
आरम्भ में केवल शब्द थाकिन्तु उसकी सार्थकता थी श्रुति बनने मेंकि वह किसी से कहा जाय मौन को टूटना अनिवार्य थाशब्द … Continue reading सृजन का शब्द
सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना क़दम यक़ीन में मंज़िल गुमान में रखना जो साथ है वही घर का … Continue reading गज़ल – निदा फ़ाज़ली
“अपनी जगह से गिर कर कहीं के नहीं रहते केश, औरतें और नाख़ून” – अन्वय करते थे किसी श्लोक को ऐसे हमारे संस्कृत टीचर। और … Continue reading बेजगह – अनामिका
सुबह पाँच बजे हाथ में थामे झाड़ू घर से निकल पड़ती है रामेसरी लोहे की हाथ गाड़ी धकेलते हुए खड़ाँग-खड़ाँग … Continue reading झाडुवाली – ओमप्रकाश वाल्मीकि
रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं। राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥ रैदास कहते हैं कि मेरे आराध्य राम दशरथ के पुत्र राम नहीं हैं। जो राम पूरे विश्व में, प्रत्येक घर−घर में समाया हुआ है, वही मेरे भीतर रमा हुआ है। * ऊँचे कुल के … Continue reading दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )
मैं ख़ुद भी करना चाहता हूँ अपना सामना तुझ को भी अब नक़ाब उठा देनी चाहिए * ये ज़रूरी है … Continue reading कुछ चुने हुए शेर, ग़ज़ल – राहत इंदौरी
यूँ लग रहा है जैसे कोई आस-पास है वो कौन है जो है भी नहीं और उदास है मुमकिन है लिखने … Continue reading कुछ अशआर, नज़्म – निदा फ़ाज़ली
जल तो बहुत गहरा थाकमलों तक समझे हम झील वह अछूती थीपुरइन से ढंकी हुईसूरज से अनबोलीचाँद से न खुली … Continue reading अनबींधे मन का गीत ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે)
उनको प्रणाम जो नहीं हो सके पूर्ण–काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम । कुछ कंठित औ’ कुछ लक्ष्य–भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए; रण … Continue reading उनको प्रणाम : नागार्जुन
हजारों कन्सट्रकशन वर्क के रजकणसेघूंटा हुआ हवा का दम छूटा और ली राहत की साँसबेवजह इधर-उधर दौडते रहते पहियों केधुंए … Continue reading सह अस्तित्व – नेहल
हमचू सब्ज़ा बारहा रोईदा-ईम (हम हरियाली की तरह बार-बार उगे हैं) रूमी … फिर इक दिन ऐसा आएगा आँखों के … Continue reading मेरा सफ़र. – अली सरदार जाफ़री
कुछ चुनी हुई पंक्तिआँ कुछ देर और बैठो अभी तो रोशनी की सिलवटें हैं हमारे बीच। उन्हें हट तो जाने … Continue reading कितना अच्छा होता है – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है कि दिशाएँ पास आ गयी हैं, हर रास्ता छोटा हो गया … Continue reading तुम्हारे साथ रहकर – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना
बहते हुए काल की गर्तामें अश्मीभूत हो रहे हम! कुछ सदिओं की धरोहर परंपराओं से आज को मूल्यांकित करने में … Continue reading अश्मीभूत हो रहे भस्मासूर हम – नेहल
સરકતી જતી કાળની ગર્તામાં અશ્મીભૂત થતા આપણે થોડીક સદીઓની જણસને વળગી આજને મૂલવવાની રમતમાં ગળાડૂબ સદીઓ પારના અંધારા ખડખડ હસે … Continue reading અશ્મીભૂત થતા ભસ્માસૂર આપણે – નેહલ
क्यूँ नूर-ए-अबद दिल में गुज़र कर नहीं पाता नूर-ए-अबद = eternal light … Continue reading फ़हमीदा रियाज़ – ग़ज़ल
THE GRASS IS REALLY LIKE ME The grass is also like me it has to unfurl underfoot to fulfill itself … Continue reading घास तो मुझ जैसी है – The Grass is really like me : Kishwar Naheed
दरमियान-ए-जिस्म-ओ-जाँ है इक अजब सूरत की आड़ मुझ को दिल की दिल को है मेरी अनानियत की आड़ आ गया … Continue reading ग़ज़ल – साहिर देहल्वी ( સરળ ગુજરાતી સમજૂતી સાથે )
This particular Ghazal starts with the description of a beautiful beloved and in the last two Sher, there is mention … Continue reading रौशन जमाल-ए-यार से है- हसरत मोहानी
ज़िन्दगी से उन्स है उन्स- प्रेम हुस्न से लगाव है धड़कनों में आज भी इश्क़ का अलाव है … Continue reading ज़िन्दगी से उन्स है – साहिर लुधियानवी
ब्लोग जगत के मेरे मित्रों, पाँचवी सालगिरह का ज़श्न मनाते हुए आज मेरी आप लोगों के द्वारा सबसे ज़्यादा पढी … Continue reading पलकों से भागे सपनों-से नीमपके फल, लम्हे !
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो ( मेयारी – qualitative) … Continue reading जश़्ने सुख़नगोई, ब्लोग के पाँचवे जन्मदिन पर…
अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा कर बूँद … Continue reading गज़ल – क़तील शिफ़ाई
मिलना न मिलना एक बहाना है और बस तुम सच हो बाक़ी जो है फ़साना है और बस लोगों को … Continue reading मिलना न मिलना एक बहाना है और बस – सलीम कौसर
बिछड़ती और मिलती साअतों के दरमियान इक पल यही इक पल बचाने के लिए सब कुछ गँवाया है … Continue reading कुछ चुने हुए शेर : सलीम कौसर
अभिव्यक्ति का प्रश्न प्रश्न अभिव्यक्ति का है, मित्र! किसी मर्मस्पर्शी शब्द से या क्रिया से, मेरे भावों, अभावों को भेदो … Continue reading अभिव्यक्ति का प्रश्न – दुष्यंत कुमार ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે )
काश ऐसा होता कि ईश्वर मेरे बिस्तर के पास रखे पानी भरे गिलास के अन्दर से बैंगनी प्रकाश पुंज-सा अचानक … Continue reading काश ऐसा होता – लीना टिब्बी
हलकी नीली यादें ओ विस्मृति के पहाड़ों में निर्वासित मेरे लोगो ! ओ मेरे रत्नों और जवाहरातो ! क्यों ख़ामोशी … Continue reading हलकी नीली यादें – Memories Of Light Blue
हमारे ऊपर एक बार फिर जलती हैं कपोल-कथाएँ हवा के पहले झोंके में ही झर जाएँगी पत्तियों के साथ किन्तु … Continue reading सितारे – Stars: Giuseppe Ungaretti
Every Song Every song is the remains of love. Every light the remains of time. A knot of time. And … Continue reading Every Song – हर गीत
जिनके अंदर चिराग़ जलते हैं, घर से बाहर वही निकलते हैं। बर्फ़ गिरती है जिन इलाकों में, धूप के कारोबार … Continue reading चिराग़ जलते हैं – सूर्यभानु गुप्त
जिनके नामों पे आज रस्ते हैं वे ही रस्तों की धूल थे पहले …… अन्नदाता हैं अब गुलाबों के जितने … Continue reading कुछ चुने हुए शेर: सूर्यभानु गुप्त
हैज़ा, टी. बी.,चेचक से मरती थी पहले दुनिया मन्दिर, मसजिद, नेता, कुरसी हैं ये रोग अभी के ….. इक मोम … Continue reading हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ – सूर्यभानु गुप्त
Woodcutter. Cut out my shadow. Free me from the torture of seeing myself fruitless. Why was I born among mirrors? … Continue reading The Song Of The Barren Orange Tree – Poem by Federico García Lorca
नए गीत तीसरा पहर कहता है- मैं छाया के लिए प्यासा हूँ चांद कहता है- मुझे तारों की प्यास है … Continue reading नए गीत – फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का
कभी की जा चुकीं नीचे यहाँ की वेदनाएँ, नए स्वर के लिए तू क्या गगन को छानता है ? [1] … Continue reading नई आवाज – रामधारी सिंह “दिनकर”
ज़ात का आईना-ख़ाना जिस में रौशन इक चराग़-ए-आरज़ू चार-सू ज़ाफ़रानी रौशनी के दाएरे मुख़्तलिफ़ हैं आईनों के ज़ाविए एक लेकिन … Continue reading नज़्म – अमीक़ हनफ़ी (સરળ ગુજરાતી ભાવાનુવાદ સાથે)
धरती ने मुझे सिखलाया है- सब कुछ स्वीकारना सब कुछ के बाद सबसे परे हो जाना हर ऋतु में बदलना … Continue reading पंचभूतों ने जो मुझे सिखलाया – के० सच्चिदानंदन
कुआँ मैं एक कुआँ हूँ, गहरा कुआँ , मेरे अन्दर के अँधेरे में भी शांति है , शीतलता है ,… … Continue reading कुआँ…नारी जीवन की अभिव्यक्ति / मधु गजाधर
Those Bells Are Driving Me Crazy Those bells are driving me crazy How can I sleep? Ten times a day … Continue reading Those Bells Are Driving Me Crazy- चढ़न चरी कई
Dunya Mikhail was born in Iraq (Baghdad) in 1965 and came to the United States thirty years later. She’s renowned … Continue reading Poems – Dunya Mikhail
बग़दाद के अपने बग़ीचे में मैं अक्सर भागा करता था उसके पीछे मगर वह उड़कर दूर चली जाती थी हमेश। … Continue reading न्यूयार्क में एक तितली – A Butterfly in New York – Sinan Antoon
યાત્રા સમયની છાતીમાં દટાયેલા કોઈ રહસ્યનું બીજ ક્યારે કોળી ઊઠ્યું એ તો હું જાણતી નથી. પણ એ એની જ સુગંધ … Continue reading યાત્રા – અમૃતા પ્રીતમ અનુવાદ: અરૂણા ચોકસી
मेरा एकांत मैं देता हूं तुम्हें एकांत— हंसी के जमघट के बीच एक अकेला अश्रु शब्दों के शोर के बीच … Continue reading मेरा एकांत -सुरेश जोशी
अश्कों में जो पाया है, वो गीतों में दिया है इस पर भी सुना है, कि ज़माने को गिला है … Continue reading नज़्म – साहिर लुधियानवी
जब पलकों से कोई ख़्वाब गिरता है तो नींद भी मचल जाती है उसके पीछे दौड़ जाती है आँखों को … Continue reading ख़्वाब – नेहल
अपने गिर्द-ओ-पेश का भी कुछ पता रख दिल की दुनिया तो मगर सब से जुदा रख लिख बयाज़-ए-मर्ग में हर … Continue reading ग़ज़ल – कुमार पाशी
आज फिर शुरू हुआ जीवन आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा … Continue reading आज फिर शुरू हुआ जीवन – આજ ફરીથી – रघुवीर सहाय
हवा के रंग में दुनिया पे आश्कार हुआ मैं क़ैद-ए-जिस्म से निकला तो बे-कनार हुआ आश्कार = clear, manifest, visible, … Continue reading कुमार पाशी – चुनिंदा अशआर
बताऊँ किस तरह अहबाब को आँखें जो ऐसी हैं कि कल पलकों से टूटी नींद की किर्चें समेटी हैं सफ़र … Continue reading ग़ज़ल – शहरयार
कुछ चुनिंदा अशआर : सिर्फ़ शाइ’र देखता है क़हक़हों की असलियत हर किसी के पास तो ऐसी नज़र होगी नहीं … Continue reading ग़ज़ल – दुष्यंत कुमार
ये वक़्त क्या है? ये क्या है आख़िर कि जो मुसलसल गुज़र रहा है ये जब न गुज़रा था, तब … Continue reading वक़्त – जावेद अख़्तर
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक (A prayer needs … Continue reading आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब
शाम आँखों में, आँख पानी में और पानी सराए-फ़ानी में झिलमिलाते हैं कश्तियों में दीए पुल खड़े सो रहे … Continue reading बशीर बद्र (रोशनी के घरौंदे)
Deep in the Stillness He threw me away like a clod of earth. He didn’t know I was a thing … Continue reading Deep in the Stillness- सन्नाटे में दूर तक
धूप की चादर मिरे सूरज से कहना भेज दे गुर्बतों का दौर है जाड़ों की शिददत है बहुत …… उन … Continue reading चुनिंदा अशआर- बशीर बद्र (3)
हरे दरख़्तो के चम्पई अंधेरोमें शाम के साये जब उतरते है रात की कहानी छेड देते है जुग्नूओं की महफ़िलमें। … Continue reading सफ़र – नेहल
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है ये किस का तसव्वुर है ये … Continue reading इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का – जिगर मुरादाबादी
अब कोई फूल नहीं रहा न वे फूल ही जो अपने अर्थों को अलग रख कर भी एक डोरी में … Continue reading अब मैं लौट रही हूँ / अमृता भारती
कैशोर्य के उन दिनों में मैं सुबह की ख़ुशियों से भर जाता था, पर शामों में रुदन ही रुदन था … Continue reading कालान्तर – Then And Now
Sunshine A golden sun shines on floating islands in the cosmos. The rarefied mist has slipped aside. Your face quivers … Continue reading Sunshine – Gulzar
Life is the name given to a few moments, and In but one of those fleeting moments Two eyes meet … Continue reading A Moment in Time – एक लम्हा : कैफ़ी आज़मी
मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो के मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारो वो बेख़याल मुसाफ़िर … Continue reading मिली हवाओं में उड़ने की – वसीम बरेलवी
आए हैं जिस मक़ाम से उसका पता न पूछ रुदादे-सफ़र पूछ मगर रास्ता न पूछ गर हो सके … Continue reading ग़ज़ल – इन्दु श्रीवास्तव
Amen Give everything away— Ideas, breath, vision, thoughts. Peel off words from the lips, and sounds from the tongue. Wipe … Continue reading Amen- कुछ और नज़्में
रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है… रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है… आस्मान बुझता ही नहीं, … Continue reading रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है…
मेरे भीतर से उठ रहा है ख़लाओं का काला चाँद ढक रहा है मेरे सूरज को धीरे धीरे रंगों … Continue reading सूर्य ग्रहन- नेहल
मख़मली ढलानों पर मख़मली ढलानो पर आख़िरी आवाज़ थम चुकी है चरवाहे की दिन है कि दबे पांव गुज़र रहा … Continue reading मख़मली ढलानों पर – दीप्ति नवल
आसमान जब मुझे अपनी बाँहों में लेता है और ज़मीन अपनी पनाहों में लेती है मैं उन दोनों के … Continue reading अहसास – आशमा कौल