आजकी पंक्तियाँ :  मुनीर मोमिन

आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन

शाम का जादू हर सुब्ह जब मैं जागता हूँ मुझे शाम की ख़्वाहिश बेचैन करने लगती है और मैं काग़ज़ … Continue reading आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन

Poems of Kabir : कबीर बानी

Poems of Kabir : कबीर बानी

मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हीरा पायो गाँठ गठियायो, बार बार वाको क्यों खोले। हलकी थी तब चढ़ी तराजू, … Continue reading Poems of Kabir : कबीर बानी

आज की पंक्तियाँ:मुनीर मोमिन: ख़्वाब

उर्दू से लिप्यंतरण : मुमताज़ इक़बाल मुनीर मोमिन सुपरिचित, सम्मानित और समकालीन बलोची कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत बलोची नज़्में उनके … Continue reading आज की पंक्तियाँ:मुनीर मोमिन: ख़्वाब

आज का चुनिंदा अशआर : साक़ी फ़ारूक़ी

हद-बंदी-ए-ख़िज़ाँ = setting limits of autumn, हिसार-ए-बहार = circle of spring रक़्स = dance Continue reading आज का चुनिंदा अशआर : साक़ी फ़ारूक़ी

स्वस्तिक क्षण दुष्यन्त कुमार

स्वस्तिक क्षण दुष्यन्त कुमार

स्वस्तिक क्षण नृत्य की मुद्रा में कसा हुआ लगता जीवन! आँगन में पड़ी हुई पायल-सी धूप! छूम छनन छन! घुँघरूओं … Continue reading स्वस्तिक क्षण दुष्यन्त कुमार

चुनिंदा अशआर : ज़ेहरा निगाह

चुनिंदा अशआर : ज़ेहरा निगाह

मय-ए-हयात में शामिल है तल्ख़ी-ए-दौराँ जभी तो पी के तरसते हैं बे-ख़ुदी के लिए मय-ए-हयात = wine of existence, तल्ख़ी-ए-दौराँ … Continue reading चुनिंदा अशआर : ज़ेहरा निगाह

लड़की कैक्टस थी : वियोगिनी ठाकुर

लड़की कैक्टस थी : वियोगिनी ठाकुर

लड़की कैक्टस थी बहुत से लोगों की आँख में चुभती रही वह लड़की काँटा थी या थी— पूरा का पूरा … Continue reading लड़की कैक्टस थी : वियोगिनी ठाकुर

कुछ चुने हुए शेर : मरग़ूब अली

कुछ चुने हुए शेर : मरग़ूब अली

हर्फ़ नाकाम जहाँ होते हैं उन लम्हों में फूल खिलते हैं बहुत बात के सन्नाटे में .. लब पर उगाऊँ … Continue reading कुछ चुने हुए शेर : मरग़ूब अली

मधुशाला : हरिवंशराय  ‘ बच्चन ‘

मधुशाला : हरिवंशराय ‘ बच्चन ‘

मधुशाला : कुछ उद्धरण मधुर भावनाओं की सुमधुर नित्या बनाता हूँ हाला भरता हूँ इस मधु से अपने अंतर का … Continue reading मधुशाला : हरिवंशराय ‘ बच्चन ‘

शब्दों का दुःख : दुर्गा प्रसाद पंडा

शब्दों का दुःख : दुर्गा प्रसाद पंडा

शब्दों का दुःख आदमियों की तरहशब्दों के दुःखों की सूची भीख़ूब लंबी है। शब्दों में भी होती हैबहुत कुछ अनकही … Continue reading शब्दों का दुःख : दुर्गा प्रसाद पंडा

बारिश के रंग : प्रमोद पाठक

बारिश के रंग : प्रमोद पाठक

बारिश के रंग बारिश के रंग जिस तरहफूल-पत्तियों और घासों में खिलते हैंठीक उसी तरहहमारे हाथों में खिलते हैंजिस तरह … Continue reading बारिश के रंग : प्रमोद पाठक

कौन सी है ये गली : नेहल

कौन सी है ये गली : नेहल

उदासी के काले, धूंधले, ठंडे थपेडों के बीच ये कौन सा सफ़र बीत रहा है? एक संकरी गली से गुज़र … Continue reading कौन सी है ये गली : नेहल

गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी

गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी

चाँद तारे बना के काग़ज़ पर ख़ुश हुए घर सजा के काग़ज़ पर बस्तियाँ क्यूँ तलाश करते हैं लोग जंगल … Continue reading गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी

हरी-हरी दूब पर : अटल बिहारी वाजपेयी

हरी-हरी दूब पर : अटल बिहारी वाजपेयी

हरी-हरी दूब पर हरी-हरी दूब परओस की बूँदें अभी थीं, अब नहीं हैं। ऐसी खुशियाँ जो हमेशा हमारा साथ दें … Continue reading हरी-हरी दूब पर : अटल बिहारी वाजपेयी

करवटें लेंगे बूँदों के सपने : नागार्जुन

करवटें लेंगे बूँदों के सपने : नागार्जुन

….. करवटें लेंगे बूँदों के सपने अभी-अभी  कोहरा चीरकर चमकेगा सूरज  चमक उठेंगी ठूँठ की नंगी-भूरी डालें   अभी-अभी  थिरकेगी पछिया बयार  झरने लग जायेंगे … Continue reading करवटें लेंगे बूँदों के सपने : नागार्जुन

शब्द नहीं गिरते : अशोक वाजपेयी

शब्द नहीं गिरते : अशोक वाजपेयी

शब्द नहीं गिरते शब्द नहीं गिरते समय पर वे गिरते हैं धरती पर— जिस पर गिरती है धूप, वर्षा, ऋतुएँ। … Continue reading शब्द नहीं गिरते : अशोक वाजपेयी

 कुंठा :  दुष्यन्त कुमार

 कुंठा : दुष्यन्त कुमार

 कुंठा मेरी कुंठारेशम के कीड़ों-सीताने-बाने बुनती,तड़प तड़पकरबाहर आने को सिर धुनती,स्वर सेशब्दों सेभावों सेऔ’ वीणा से कहती-सुनती,गर्भवती हैमेरी कुंठा–कुँवारी कुंती! … Continue reading  कुंठा : दुष्यन्त कुमार

धूप की भाषा : श्रीनरेश मेहता

धूप की भाषा : श्रीनरेश मेहता

धूप की भाषा-सी खिड़की में मत खड़ी होओ प्रिया! शॉल-सा कंधों पर पड़ा यह फाल्गुन चैत्र-सा तपने लगेगा! केश सुखा … Continue reading धूप की भाषा : श्रीनरेश मेहता

अनंत कलरव : निधीश त्यागी

अनंत कलरव : निधीश त्यागी

वे सारे फूल जिनके नाम मुझे नहीं पता वे सारे सुर मैं जिन्हें नहीं पहचानता वे सारे शब्द जो डिक्शनरी … Continue reading अनंत कलरव : निधीश त्यागी

सिर्फ तुम्हारे लिए… सिमोन : शुभम श्री

सिर्फ तुम्हारे लिए… सिमोन : शुभम श्री

सिर्फ तुम्हारे लिए… सिमोन (4) जानती हो सिमोन, मैं अकसर सोचती हूँसोचती क्या, चाहती हूँ पहुँचाऊँकुछ प्रतियाँ ‘द सेकंड सेक्स’ … Continue reading सिर्फ तुम्हारे लिए… सिमोन : शुभम श्री

जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं

जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं

जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं जे़हनों में ख़याल जल रहे हैंसोचों के अलाव-से लगे हैं अलाव = bonfire दुनिया … Continue reading जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं

जिसे लिखता है सूरज : निदा फ़ाज़ली

जिसे लिखता है सूरज : निदा फ़ाज़ली

जिसे लिखता है सूरज वो आयी! और उसने मुस्कुरा के मेरी बढ़ती उम्र के सारे पुराने जाने अनजाने बरस पहले … Continue reading जिसे लिखता है सूरज : निदा फ़ाज़ली

वान गॉग के अंतिम आत्मचित्र से बातचीत : अनीता वर्मा

वान गॉग के अंतिम आत्मचित्र से बातचीत : अनीता वर्मा

एक पुराने परिचित चेहरे परन टूटने की पुरानी चाह थीआँखें बेधक तनी हुई नाकछिपने की कोशिश करता था कटा हुआ … Continue reading वान गॉग के अंतिम आत्मचित्र से बातचीत : अनीता वर्मा

श्रोता : मनीषा जोषी

श्रोता : मनीषा जोषी

श्रोता कविता-पाठ करते वक़्तमेरे गले मेंअचानक से प्यास उठती है। डूब जाती है आवाज़जैसे गिर पड़ी होनदी के ऊपर से … Continue reading श्रोता : मनीषा जोषी

गांधीजी के जन्मदिन पर : दुष्यन्त कुमार

गांधीजी के जन्मदिन पर : दुष्यन्त कुमार

गांधीजी के जन्मदिन पर मैं फिर जनम लूंगाफिर मैंइसी जगह आउंगाउचटती निगाहों की भीड़ मेंअभावों के बीचलोगों की क्षत-विक्षत पीठ … Continue reading गांधीजी के जन्मदिन पर : दुष्यन्त कुमार

साबुत आईने :  धर्मवीर भारती

साबुत आईने : धर्मवीर भारती

साबुत आईने इस डगर पर मोह सारे तोड़ले चुका कितने अपरिचित मोड़ पर मुझे लगता रहा हर बारकर रहा हूँ … Continue reading साबुत आईने : धर्मवीर भारती

गीत मेरे : हरिवंशराय बच्चन

गीत मेरे : हरिवंशराय बच्चन

 गीत मेरे गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन। एक दुनिया है हृदय में, मानता हूँ,वह घिरी तम से, इसे भी … Continue reading गीत मेरे : हरिवंशराय बच्चन

दिन ढले की बारिश : धर्मवीर भारती

दिन ढले की बारिश : धर्मवीर भारती

बारिश दिन ढले कीहरियाली-भीगी, बेबस, गुमसुमतुम हो और,और वही बलखाई मुद्राकोमल शंखवाले गले कीवही झुकी-मुँदी पलक सीपी में खाता हुआ … Continue reading दिन ढले की बारिश : धर्मवीर भारती

सृजन का शब्द

सृजन का शब्द

आरम्भ में केवल शब्द थाकिन्तु उसकी सार्थकता थी श्रुति बनने मेंकि वह किसी से कहा जाय मौन को टूटना अनिवार्य थाशब्द … Continue reading सृजन का शब्द

गज़ल – निदा फ़ाज़ली

गज़ल – निदा फ़ाज़ली

सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना क़दम यक़ीन में मंज़िल गुमान में रखना  जो साथ है वही घर का … Continue reading गज़ल – निदा फ़ाज़ली

झाडुवाली – ओमप्रकाश वाल्मीकि

झाडुवाली – ओमप्रकाश वाल्मीकि

सुबह पाँच बजे हाथ में थामे झाड़ू घर से निकल पड़ती है रामेसरी लोहे की हाथ गाड़ी धकेलते हुए खड़ाँग-खड़ाँग … Continue reading झाडुवाली – ओमप्रकाश वाल्मीकि

दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )

दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )

रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं। राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥ रैदास कहते हैं कि मेरे आराध्य राम दशरथ के पुत्र राम नहीं हैं। जो राम पूरे विश्व में, प्रत्येक घर−घर में समाया हुआ है, वही मेरे भीतर रमा हुआ है। * ऊँचे कुल के … Continue reading दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )

कुछ चुने हुए शेर, ग़ज़ल – राहत इंदौरी

कुछ चुने हुए शेर, ग़ज़ल – राहत इंदौरी

मैं ख़ुद भी करना चाहता हूँ अपना सामना तुझ को भी अब नक़ाब उठा देनी चाहिए * ये ज़रूरी है … Continue reading कुछ चुने हुए शेर, ग़ज़ल – राहत इंदौरी

कुछ अशआर, नज़्म – निदा फ़ाज़ली

कुछ अशआर, नज़्म – निदा फ़ाज़ली

यूँ लग रहा है जैसे कोई आस-पास है वो कौन है जो है भी नहीं और उदास है  मुमकिन है लिखने … Continue reading कुछ अशआर, नज़्म – निदा फ़ाज़ली

अनबींधे मन का गीत ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે)

अनबींधे मन का गीत ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે)

जल तो बहुत गहरा थाकमलों तक समझे हम झील वह अछूती थीपुरइन से ढंकी हुईसूरज से अनबोलीचाँद से न खुली … Continue reading अनबींधे मन का गीत ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે)

उनको प्रणाम : नागार्जुन

उनको प्रणाम : नागार्जुन

उनको प्रणाम जो नहीं हो सके पूर्ण–काम मैं उनको करता हूँ प्रणाम ।  कुछ कंठित औ’ कुछ लक्ष्य–भ्रष्ट जिनके अभिमंत्रित तीर हुए; रण … Continue reading उनको प्रणाम : नागार्जुन

सह अस्तित्व – नेहल

सह अस्तित्व – नेहल

हजारों कन्सट्रकशन वर्क के रजकणसेघूंटा हुआ हवा का दम छूटा और ली राहत की साँसबेवजह इधर-उधर दौडते रहते पहियों केधुंए … Continue reading सह अस्तित्व – नेहल

मेरा सफ़र.  –  अली सरदार जाफ़री

मेरा सफ़र. – अली सरदार जाफ़री

हमचू सब्ज़ा बारहा रोईदा-ईम (हम हरियाली की तरह बार-बार उगे हैं) रूमी … फिर इक दिन ऐसा आएगा आँखों के … Continue reading मेरा सफ़र. – अली सरदार जाफ़री

कितना अच्छा होता है – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

कितना अच्छा होता है – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

कुछ चुनी हुई पंक्तिआँ कुछ देर और बैठो अभी तो रोशनी की सिलवटें हैं हमारे बीच। उन्हें हट तो जाने … Continue reading कितना अच्छा होता है – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

तुम्हारे साथ रहकर – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

तुम्हारे साथ रहकर – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

तुम्हारे साथ रहकर अक्सर मुझे ऐसा महसूस हुआ है कि दिशाएँ पास आ गयी हैं, हर रास्ता छोटा हो गया … Continue reading तुम्हारे साथ रहकर – सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

अश्मीभूत हो रहे भस्मासूर हम – नेहल

अश्मीभूत हो रहे भस्मासूर हम – नेहल

बहते हुए काल की गर्तामें अश्मीभूत हो रहे हम! कुछ सदिओं की धरोहर परंपराओं से आज को मूल्यांकित करने में … Continue reading अश्मीभूत हो रहे भस्मासूर हम – नेहल

અશ્મીભૂત થતા ભસ્માસૂર આપણે – નેહલ

અશ્મીભૂત થતા ભસ્માસૂર આપણે – નેહલ

સરકતી જતી કાળની ગર્તામાં અશ્મીભૂત થતા આપણે થોડીક સદીઓની જણસને વળગી આજને મૂલવવાની રમતમાં ગળાડૂબ સદીઓ પારના અંધારા ખડખડ હસે … Continue reading અશ્મીભૂત થતા ભસ્માસૂર આપણે – નેહલ

ग़ज़ल – साहिर देहल्वी ( સરળ ગુજરાતી સમજૂતી સાથે )

ग़ज़ल – साहिर देहल्वी ( સરળ ગુજરાતી સમજૂતી સાથે )

दरमियान-ए-जिस्म-ओ-जाँ है इक अजब सूरत की आड़ मुझ को दिल की दिल को है मेरी अनानियत की आड़ आ गया … Continue reading ग़ज़ल – साहिर देहल्वी ( સરળ ગુજરાતી સમજૂતી સાથે )

ज़िन्दगी से उन्स है – साहिर लुधियानवी

ज़िन्दगी से उन्स है – साहिर लुधियानवी

ज़िन्दगी से उन्स है     उन्स- प्रेम हुस्न से लगाव है धड़कनों में आज भी इश्क़ का अलाव है … Continue reading ज़िन्दगी से उन्स है – साहिर लुधियानवी

पलकों से भागे सपनों-से नीमपके फल,  लम्हे !

पलकों से भागे सपनों-से नीमपके फल, लम्हे !

ब्लोग जगत के मेरे मित्रों, पाँचवी सालगिरह का ज़श्न मनाते हुए आज मेरी आप लोगों के द्वारा सबसे ज़्यादा पढी … Continue reading पलकों से भागे सपनों-से नीमपके फल, लम्हे !

जश़्ने सुख़नगोई, ब्लोग के पाँचवे जन्मदिन पर…

जश़्ने सुख़नगोई, ब्लोग के पाँचवे जन्मदिन पर…

ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो ( मेयारी – qualitative) … Continue reading जश़्ने सुख़नगोई, ब्लोग के पाँचवे जन्मदिन पर…

गज़ल – क़तील शिफ़ाई

गज़ल – क़तील शिफ़ाई

अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा कर बूँद … Continue reading गज़ल – क़तील शिफ़ाई

मिलना न मिलना एक बहाना है और बस – सलीम कौसर

मिलना न मिलना एक बहाना है और बस – सलीम कौसर

मिलना न मिलना एक बहाना है और बस तुम सच हो बाक़ी जो है फ़साना है और बस लोगों को … Continue reading मिलना न मिलना एक बहाना है और बस – सलीम कौसर

कुछ चुने हुए शेर : ​सलीम कौसर

कुछ चुने हुए शेर : ​सलीम कौसर

बिछड़ती और मिलती साअतों के दरमियान इक पल यही इक पल बचाने के लिए सब कुछ गँवाया है     … Continue reading कुछ चुने हुए शेर : ​सलीम कौसर

अभिव्यक्ति का प्रश्न –  दुष्यंत कुमार ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે  )

अभिव्यक्ति का प्रश्न – दुष्यंत कुमार ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે )

अभिव्यक्ति का प्रश्न प्रश्न अभिव्यक्ति का है, मित्र! किसी मर्मस्पर्शी शब्द से या क्रिया से, मेरे भावों, अभावों को भेदो … Continue reading अभिव्यक्ति का प्रश्न – दुष्यंत कुमार ( સરળ ગુજરાતી સાર સાથે )

हलकी नीली यादें – Memories Of Light Blue

हलकी नीली यादें – Memories Of Light Blue

हलकी नीली यादें ओ विस्मृति के पहाड़ों में निर्वासित मेरे लोगो ! ओ मेरे रत्नों और जवाहरातो ! क्यों ख़ामोशी … Continue reading हलकी नीली यादें – Memories Of Light Blue

चिराग़ जलते हैं –  सूर्यभानु गुप्त

चिराग़ जलते हैं – सूर्यभानु गुप्त

जिनके अंदर चिराग़ जलते हैं, घर से बाहर वही निकलते हैं। बर्फ़ गिरती है जिन इलाकों में, धूप के कारोबार … Continue reading चिराग़ जलते हैं – सूर्यभानु गुप्त

कुछ चुने हुए शेर:​ सूर्यभानु गुप्त

कुछ चुने हुए शेर:​ सूर्यभानु गुप्त

जिनके नामों पे आज रस्ते हैं वे ही रस्तों की धूल थे पहले …… अन्नदाता हैं अब गुलाबों के जितने … Continue reading कुछ चुने हुए शेर:​ सूर्यभानु गुप्त

हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ –  सूर्यभानु गुप्त

हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ – सूर्यभानु गुप्त

हैज़ा, टी. बी.,चेचक से मरती थी पहले दुनिया मन्दिर, मसजिद, नेता, कुरसी हैं ये रोग अभी के ….. इक मोम … Continue reading हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ – सूर्यभानु गुप्त

नए गीत –  फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

नए गीत – फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

नए गीत तीसरा पहर कहता है- मैं छाया के लिए प्यासा हूँ चांद कहता है- मुझे तारों की प्यास है … Continue reading नए गीत – फ़ेदेरिको गार्सिया लोर्का

नई आवाज –  रामधारी सिंह “दिनकर”

नई आवाज – रामधारी सिंह “दिनकर”

कभी की जा चुकीं नीचे यहाँ की वेदनाएँ, नए स्वर के लिए तू क्या गगन को छानता है ? [1] … Continue reading नई आवाज – रामधारी सिंह “दिनकर”

नज़्म –  अमीक़ हनफ़ी (સરળ ગુજરાતી ભાવાનુવાદ સાથે)

नज़्म – अमीक़ हनफ़ी (સરળ ગુજરાતી ભાવાનુવાદ સાથે)

ज़ात का आईना-ख़ाना जिस में रौशन इक चराग़-ए-आरज़ू चार-सू ज़ाफ़रानी रौशनी के दाएरे मुख़्तलिफ़ हैं आईनों के ज़ाविए एक लेकिन … Continue reading नज़्म – अमीक़ हनफ़ी (સરળ ગુજરાતી ભાવાનુવાદ સાથે)

पंचभूतों ने जो मुझे सिखलाया – के० सच्चिदानंदन

पंचभूतों ने जो मुझे सिखलाया – के० सच्चिदानंदन

धरती ने मुझे सिखलाया है- सब कुछ स्वीकारना सब कुछ के बाद सबसे परे हो जाना हर ऋतु में बदलना … Continue reading पंचभूतों ने जो मुझे सिखलाया – के० सच्चिदानंदन

कुआँ…नारी जीवन की अभिव्यक्ति / मधु गजाधर

कुआँ…नारी जीवन की अभिव्यक्ति / मधु गजाधर

कुआँ मैं एक कुआँ हूँ, गहरा कुआँ , मेरे अन्दर के अँधेरे में भी शांति है , शीतलता है ,… … Continue reading कुआँ…नारी जीवन की अभिव्यक्ति / मधु गजाधर

न्यूयार्क में एक तितली – A Butterfly in New York – Sinan Antoon

न्यूयार्क में एक तितली – A Butterfly in New York – Sinan Antoon

बग़दाद के अपने बग़ीचे में मैं अक्सर भागा करता था उसके पीछे मगर वह उड़कर दूर चली जाती थी हमेश। … Continue reading न्यूयार्क में एक तितली – A Butterfly in New York – Sinan Antoon

યાત્રા – અમૃતા પ્રીતમ અનુવાદ: અરૂણા ચોકસી

યાત્રા – અમૃતા પ્રીતમ અનુવાદ: અરૂણા ચોકસી

યાત્રા સમયની છાતીમાં દટાયેલા કોઈ રહસ્યનું બીજ ક્યારે કોળી ઊઠ્યું એ તો હું જાણતી નથી. પણ એ એની જ સુગંધ … Continue reading યાત્રા – અમૃતા પ્રીતમ અનુવાદ: અરૂણા ચોકસી

मेरा एकांत -सुरेश जोशी

मेरा एकांत -सुरेश जोशी

मेरा एकांत मैं देता हूं तुम्हें एकांत— हंसी के जमघट के बीच एक अकेला अश्रु शब्दों के शोर के बीच … Continue reading मेरा एकांत -सुरेश जोशी

आज फिर शुरू हुआ जीवन – આજ ફરીથી –  रघुवीर सहाय

आज फिर शुरू हुआ जीवन – આજ ફરીથી – रघुवीर सहाय

आज फिर शुरू हुआ जीवन आज मैंने एक छोटी-सी सरल-सी कविता पढ़ी आज मैंने सूरज को डूबते देर तक देखा … Continue reading आज फिर शुरू हुआ जीवन – આજ ફરીથી – रघुवीर सहाय

कुमार पाशी – चुनिंदा अशआर

कुमार पाशी – चुनिंदा अशआर

हवा के रंग में दुनिया पे आश्कार हुआ मैं क़ैद-ए-जिस्म से निकला तो बे-कनार हुआ आश्कार = clear, manifest, visible, … Continue reading कुमार पाशी – चुनिंदा अशआर

ग़ज़ल – दुष्यंत कुमार

ग़ज़ल – दुष्यंत कुमार

कुछ चुनिंदा अशआर : सिर्फ़ शाइ’र देखता है क़हक़हों की असलियत हर किसी के पास तो ऐसी नज़र होगी नहीं … Continue reading ग़ज़ल – दुष्यंत कुमार

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक –  मिर्ज़ा ग़ालिब

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब

आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक (A prayer needs … Continue reading आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब

बशीर बद्र  (रोशनी के घरौंदे)

बशीर बद्र (रोशनी के घरौंदे)

  शाम आँखों में, आँख पानी में और पानी सराए-फ़ानी में झिलमिलाते हैं कश्तियों में दीए पुल खड़े सो रहे … Continue reading बशीर बद्र (रोशनी के घरौंदे)

चुनिंदा अशआर- बशीर बद्र (3)

चुनिंदा अशआर- बशीर बद्र (3)

धूप की चादर मिरे सूरज से कहना भेज दे गुर्बतों का दौर है जाड़ों की शिददत है बहुत …… उन … Continue reading चुनिंदा अशआर- बशीर बद्र (3)

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का – जिगर मुरादाबादी

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का – जिगर मुरादाबादी

इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है ये किस का तसव्वुर है ये … Continue reading इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का – जिगर मुरादाबादी

मिली हवाओं में उड़ने की – वसीम बरेलवी

मिली हवाओं में उड़ने की – वसीम बरेलवी

मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो के मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारो वो बेख़याल मुसाफ़िर … Continue reading मिली हवाओं में उड़ने की – वसीम बरेलवी

रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है…

रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है… रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है… आस्मान बुझता ही नहीं, … Continue reading रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है…