
लफ़्ज़… मरजान : मुनीर मोमिन
लफ़्ज़… मरजान मैं नहीं जानता ये शहर ख़ुद को क्यों मेरे अंदर के गलियारों में गुम कर देना चाहता है … Continue reading लफ़्ज़… मरजान : मुनीर मोमिन
लफ़्ज़… मरजान मैं नहीं जानता ये शहर ख़ुद को क्यों मेरे अंदर के गलियारों में गुम कर देना चाहता है … Continue reading लफ़्ज़… मरजान : मुनीर मोमिन
इश्क़ में जी को सबरो-ताब कहां उससे आंखें लगें तो ख्वाब कहां हस्ती अपनी है बीच में पर्दा हम न … Continue reading Meer Taqi Meer मीर तक़ी मीर
मय-ए-हयात में शामिल है तल्ख़ी-ए-दौराँ जभी तो पी के तरसते हैं बे-ख़ुदी के लिए मय-ए-हयात = wine of existence, तल्ख़ी-ए-दौराँ … Continue reading चुनिंदा अशआर : ज़ेहरा निगाह
हर्फ़ नाकाम जहाँ होते हैं उन लम्हों में फूल खिलते हैं बहुत बात के सन्नाटे में .. लब पर उगाऊँ … Continue reading कुछ चुने हुए शेर : मरग़ूब अली
नया है शहर नए आसरे तलाश करूँ तू खो गया है कहाँ अब तुझे तलाश करूँ जो दश्त में भी … Continue reading ग़ज़ल : मोहसिन नक़वी
My favourites are 3’rd, 5’th & 6’th sher. छलक रही है मय-ए-नाब तिश्नगी के लिए सँवर रही है तिरी बज़्म … Continue reading गज़ल : ज़ेहरा निगाह
चाँद तारे बना के काग़ज़ पर ख़ुश हुए घर सजा के काग़ज़ पर बस्तियाँ क्यूँ तलाश करते हैं लोग जंगल … Continue reading गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी
जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं जे़हनों में ख़याल जल रहे हैंसोचों के अलाव-से लगे हैं अलाव = bonfire दुनिया … Continue reading जे़हनों में ख़याल जल रहे हैं
जिसे लिखता है सूरज वो आयी! और उसने मुस्कुरा के मेरी बढ़ती उम्र के सारे पुराने जाने अनजाने बरस पहले … Continue reading जिसे लिखता है सूरज : निदा फ़ाज़ली
मैं जितनी भी ज़बानें बोल सकता हूँ वो सारी आज़माई हैं… ‘ख़ुदा’ ने एक भी समझी नहीं अब तक, न … Continue reading नज़्म : गुलज़ार
मैं ख़ुद भी करना चाहता हूँ अपना सामना तुझ को भी अब नक़ाब उठा देनी चाहिए * ये ज़रूरी है … Continue reading कुछ चुने हुए शेर, ग़ज़ल – राहत इंदौरी
यूँ लग रहा है जैसे कोई आस-पास है वो कौन है जो है भी नहीं और उदास है मुमकिन है लिखने … Continue reading कुछ अशआर, नज़्म – निदा फ़ाज़ली
हमचू सब्ज़ा बारहा रोईदा-ईम (हम हरियाली की तरह बार-बार उगे हैं) रूमी … फिर इक दिन ऐसा आएगा आँखों के … Continue reading मेरा सफ़र. – अली सरदार जाफ़री
क्यूँ नूर-ए-अबद दिल में गुज़र कर नहीं पाता नूर-ए-अबद = eternal light … Continue reading फ़हमीदा रियाज़ – ग़ज़ल
THE GRASS IS REALLY LIKE ME The grass is also like me it has to unfurl underfoot to fulfill itself … Continue reading घास तो मुझ जैसी है – The Grass is really like me : Kishwar Naheed
दरमियान-ए-जिस्म-ओ-जाँ है इक अजब सूरत की आड़ मुझ को दिल की दिल को है मेरी अनानियत की आड़ आ गया … Continue reading ग़ज़ल – साहिर देहल्वी ( સરળ ગુજરાતી સમજૂતી સાથે )
This particular Ghazal starts with the description of a beautiful beloved and in the last two Sher, there is mention … Continue reading रौशन जमाल-ए-यार से है- हसरत मोहानी
ज़िन्दगी से उन्स है उन्स- प्रेम हुस्न से लगाव है धड़कनों में आज भी इश्क़ का अलाव है … Continue reading ज़िन्दगी से उन्स है – साहिर लुधियानवी
ये ज़रूरी है कि आँखों का भरम क़ाएम रहे नींद रक्खो या न रक्खो ख़्वाब मेयारी रखो ( मेयारी – qualitative) … Continue reading जश़्ने सुख़नगोई, ब्लोग के पाँचवे जन्मदिन पर…
મારા બ્લોગના વાચકમિત્રો, આ ઉજવણી તમારા સૌની પ્રત્યે ખરા દિલથી આભાર વ્યક્ત કર્યા વિના અધૂરી છે. એવું લાગે છે કે … Continue reading સાલમુબારક. બ્લોગની પાંચમી વર્ષગાંઠ નિમિત્તે…
अपने होंटों पर सजाना चाहता हूँ आ तुझे मैं गुनगुनाना चाहता हूँ कोई आँसू तेरे दामन पर गिरा कर बूँद … Continue reading गज़ल – क़तील शिफ़ाई
मिलना न मिलना एक बहाना है और बस तुम सच हो बाक़ी जो है फ़साना है और बस लोगों को … Continue reading मिलना न मिलना एक बहाना है और बस – सलीम कौसर
बिछड़ती और मिलती साअतों के दरमियान इक पल यही इक पल बचाने के लिए सब कुछ गँवाया है … Continue reading कुछ चुने हुए शेर : सलीम कौसर
ज़ात का आईना-ख़ाना जिस में रौशन इक चराग़-ए-आरज़ू चार-सू ज़ाफ़रानी रौशनी के दाएरे मुख़्तलिफ़ हैं आईनों के ज़ाविए एक लेकिन … Continue reading नज़्म – अमीक़ हनफ़ी (સરળ ગુજરાતી ભાવાનુવાદ સાથે)
अश्कों में जो पाया है, वो गीतों में दिया है इस पर भी सुना है, कि ज़माने को गिला है … Continue reading नज़्म – साहिर लुधियानवी
अपने गिर्द-ओ-पेश का भी कुछ पता रख दिल की दुनिया तो मगर सब से जुदा रख लिख बयाज़-ए-मर्ग में हर … Continue reading ग़ज़ल – कुमार पाशी
हवा के रंग में दुनिया पे आश्कार हुआ मैं क़ैद-ए-जिस्म से निकला तो बे-कनार हुआ आश्कार = clear, manifest, visible, … Continue reading कुमार पाशी – चुनिंदा अशआर
बताऊँ किस तरह अहबाब को आँखें जो ऐसी हैं कि कल पलकों से टूटी नींद की किर्चें समेटी हैं सफ़र … Continue reading ग़ज़ल – शहरयार
તારે નામે લખું છું તારે નામે લખું છું: સિતારા, પતંગિયાં, આગિયા તારા રસ્તાઓ સીધા સરળ હોય એના પર છાયા હોય … Continue reading તારે નામે લખું છું – કુમાર પાશી
ये वक़्त क्या है? ये क्या है आख़िर कि जो मुसलसल गुज़र रहा है ये जब न गुज़रा था, तब … Continue reading वक़्त – जावेद अख़्तर
आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक कौन जीता है तिरी ज़ुल्फ़ के सर होते तक (A prayer needs … Continue reading आह को चाहिए इक उम्र असर होते तक – मिर्ज़ा ग़ालिब
शाम आँखों में, आँख पानी में और पानी सराए-फ़ानी में झिलमिलाते हैं कश्तियों में दीए पुल खड़े सो रहे … Continue reading बशीर बद्र (रोशनी के घरौंदे)
धूप की चादर मिरे सूरज से कहना भेज दे गुर्बतों का दौर है जाड़ों की शिददत है बहुत …… उन … Continue reading चुनिंदा अशआर- बशीर बद्र (3)
इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का अदना ये फ़साना है सिमटे तो दिल-ए-आशिक़ फैले तो ज़माना है ये किस का तसव्वुर है ये … Continue reading इक लफ़्ज़-ए-मोहब्बत का – जिगर मुरादाबादी
Sunshine A golden sun shines on floating islands in the cosmos. The rarefied mist has slipped aside. Your face quivers … Continue reading Sunshine – Gulzar
Life is the name given to a few moments, and In but one of those fleeting moments Two eyes meet … Continue reading A Moment in Time – एक लम्हा : कैफ़ी आज़मी
मिली हवाओं में उड़ने की वो सज़ा यारो के मैं ज़मीन के रिश्तों से कट गया यारो वो बेख़याल मुसाफ़िर … Continue reading मिली हवाओं में उड़ने की – वसीम बरेलवी
आए हैं जिस मक़ाम से उसका पता न पूछ रुदादे-सफ़र पूछ मगर रास्ता न पूछ गर हो सके … Continue reading ग़ज़ल – इन्दु श्रीवास्तव
Amen Give everything away— Ideas, breath, vision, thoughts. Peel off words from the lips, and sounds from the tongue. Wipe … Continue reading Amen- कुछ और नज़्में
रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है… रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है… आस्मान बुझता ही नहीं, … Continue reading रात पहाड़ों पर कुछ और ही होती है…
उजाला दे चराग़-ए-रहगुज़र आसाँ नहीं होता हमेशा हो सितारा हम-सफ़र आसाँ नहीं होता जो आँखों ओट है चेहरा उसी को … Continue reading उजाला दे चराग़-ए-रहगुज़र आसाँ नहीं होता
जब साज़ की लय बदल गई थी वो रक़्स की कौन सी घड़ी थी रक़्स- dance अब याद नहीं कि … Continue reading जब साज़ की लय बदल गई थी
कोई ख़्वाब सर से परे रहा ये सफ़र सराब-ए-सफ़र रहा मैं शनाख़्त अपनी गँवा चुका गई सूरतों की तलाश में … Continue reading ग़ज़ल – मुसव्विर सब्ज़वारी
आशिक़ी से मिलेगा ऐ ज़ाहिद बंदगी से ख़ुदा नहीं मिलता दाग़ देहलवी काबे की है हवस कभी कू-ए-बुताँ की है … Continue reading ग़ज़ल – दाग़ देहलवी
औरत उठ मेरी जान! मेरे साथ ही चलना है तुझे कल्ब-ए-माहौल में लरज़ाँ शरर-ए-ज़ंग हैं आज हौसले वक़्त के और … Continue reading औरत : कैफ़ी आज़मी
सदियों की गठरी सर पर ले जाती है दुनिया बच्ची बन कर वापस आती है मैं दुनिया की हद से … Continue reading मुसाफ़िर – बशीर बद्र
ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं तू आबजू इसे समझा अगर तो चारा नहीं तिलिस्म-ए-गुंबद-ए-गर्दूं को तोड़ … Continue reading ख़ुदी वो बहर है जिस का कोई किनारा नहीं
दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूँ कितना है नोक-ए-ख़ंजर ही बताएगी कि ख़ूँ कितना है आँधियाँ आईं तो सब लोगों … Continue reading दिल में उतरेगी तो पूछेगी जुनूँ कितना है
ख़लाओं में तैरते जज़ीरों पे चम्पई धूप देख कैसे बरस रही है महीन कोहरा सिमट रहा है हथेलियों में अभी … Continue reading नज़्म – गुलज़ार
ये ज़मीं जिस कदर सजाई गई ये ज़मीं जिस कदर सजाई गई जिंदगी की तड़प बढ़ाई गई आईने से बिगड़ … Continue reading ये ज़मीं जिस कदर सजाई गई
ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा काफ़िला साथ और सफ़र तन्हा रात भर तारे बातें करते … Continue reading ज़िन्दगी यूँ हुई बसर तन्हा -गुलज़ार
ख़्वाब मरते नहीं ख़्वाब मरते नहीं ख़्वाब दिल हैं न आँखें न साँसे कि जो रेज़ा-रेज़ा हुए तो बिखर जाएँगे … Continue reading अहमद फ़राज़ – ख़्वाब मरते नहीं
हम भी दरया हैं हमें अपना हुनर मालूम है जिस तरफ़ भी चल पड़ेंगे रास्ता हो जाएगा ……….. जिस दिन … Continue reading कुछ चुनिंदा अशआर- बशीर बद्र (2)
मुलाक़ात यह रात उस दर्द का शजर है जो मुझसे तुझसे अज़ीमतर है अज़ीमतर है कि उसकी शाख़ों में लाख … Continue reading फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ की शायरी