बूंदे – नेहल
बूंदे धूँधले शीशों पर सरकती बूंदे। बारिष के रुकने पर पेडोंके पत्तो से बरसती बूंदे। कभी सोने सी; कभी हीरे … Continue reading बूंदे – नेहल
बूंदे धूँधले शीशों पर सरकती बूंदे। बारिष के रुकने पर पेडोंके पत्तो से बरसती बूंदे। कभी सोने सी; कभी हीरे … Continue reading बूंदे – नेहल