दर्दकी सुराही, भर के आँसुओ से जीओ मॅय ज़िंदगीका समज़ के उसे पीओ। भरके आँखोमें रोज़ सपनोकी रोशनी दिवाली अपनी अमावसोकी करके जीओ । . . . . . . . . . . बुइने लगी है आग ज़िंदगीकी,मेरे दोस्त फूंकदो एक-दो नज़्म शायद लौ…
Read MoreGrowing Time…in Words!
दर्दकी सुराही, भर के आँसुओ से जीओ मॅय ज़िंदगीका समज़ के उसे पीओ। भरके आँखोमें रोज़ सपनोकी रोशनी दिवाली अपनी अमावसोकी करके जीओ । . . . . . . . . . . बुइने लगी है आग ज़िंदगीकी,मेरे दोस्त फूंकदो एक-दो नज़्म शायद लौ…
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