जब पलकों से कोई ख़्वाब
गिरता है
तो नींद भी मचल जाती है
उसके पीछे
दौड़ जाती है
आँखों को खूला छोड कर।
ख़्वाबों का पीछा करना
कहाँ आसान है
न जागते न सोते
फिर भी
न जाने क्यूँ
ख़्वाबो से नींद का
सौदा करने की आदत सी
हो गई है।
ख़्वाब;
क्या है….
अरमानों के रंग से
दिल के केनवास पर खिंची
एक तसवीर।
लहु की गर्मी से
मन के आसमान में उठते बादल।
रूह की प्यास के लिए
बहता झरना।
ज़िन्दगी की भागदौड में
छूटे लम्हों की लडी।
अनकहे शब्दों से
लिखी गई
एक कविता।
अनदेखी मंझिलों का
नकशा।
माझी से आये हुए
अनसूने पैगाम।
किसी के लिए
जीने की वजह
तो मरने का बहाना
किसी के लिए।
मन की रातों का
सूरज!
मन की ऋतुओं की
बारीश!
ज़िन्दगी के हाथों
तूटता-जूडता
एक शिल्प!
-नेहल
Poetry, my poems © Copyright 2018, Nehal
Too good
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Thanks for stopping by and your encouraging words!
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