सफ़र – नेहल

सफ़र – नेहल

हरे दरख़्तो के चम्पई अंधेरोमें शाम के साये जब उतरते है रात की कहानी छेड देते है जुग्नूओं की महफ़िलमें। … Continue reading सफ़र – नेहल