गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी
चाँद तारे बना के काग़ज़ पर ख़ुश हुए घर सजा के काग़ज़ पर बस्तियाँ क्यूँ तलाश करते हैं लोग जंगल … Continue reading गज़ल : आदिल रज़ा मंसूरी
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