बच्चे काम पर जा रहे हैं
कोहरे से ढकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं सुबह सुबह बच्चे काम पर जा रहे हैं हमारे समय की सबसे भयावह पंक्ति है यह भयानक है इसे विवरण की तरह लिखा जाना लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे? क्या अन्तरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें क्या दीमकों ने खा लिया है सारी रंग-बिरंगी किताबों को क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं सारे मदरसों की इमारतें क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन खत्म हो गए हैं एकाएक तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में? कितना भयानक होता अगर ऐसा होता भयानक है लेकिन इससे भी ज्यादा यह कि हैं सारी चीज़ें हस्बमामूल पर दुनिया की हजारों सड़कों से गुजरते हुए बच्चे, बहुत छोटे छोटे बच्चे काम पर जा रहे हैं। ~ राजेश जोशी (जनवरी, 1990 ) (प्रतिनिधि कविताएँ)
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