ज़िंदगी – मोहम्मद इक़बाल

बरतर अज़ अंदेशा-ए-सूदो-ज़ियां है ज़िंदगी है कभी जां और कभी तस्लीमे-जां है ज़िंदगी । तू इसे पैमाना-ए-इमरोज़ो-फ़रदा से न नाप … Continue reading ज़िंदगी – मोहम्मद इक़बाल