दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )

दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )

रैदास हमारौ राम जी, दशरथ करि सुत नाहिं। राम हमउ मांहि रहयो, बिसब कुटंबह माहिं॥ रैदास कहते हैं कि मेरे आराध्य राम दशरथ के पुत्र राम नहीं हैं। जो राम पूरे विश्व में, प्रत्येक घर−घर में समाया हुआ है, वही मेरे भीतर रमा हुआ है। * ऊँचे कुल के … Continue reading दोहा, पद – संत रैदास (1398-1518 )