All articles filed in Nida Fazli

जिसे लिखता है सूरज : निदा फ़ाज़ली
जिसे लिखता है सूरज वो आयी! और उसने मुस्कुरा के मेरी बढ़ती उम्र के सारे पुराने जाने अनजाने बरस पहले हवाओं में उड़ाये और फिर मेरी ज़बाँ के सारे लफ़्जों को ग़ज़ल को गीत को दोहों को नज़्मों को खुली खिड़की से बाहर फेंक कर यूँ खिलखिलाई क़लम ने मेज़ पर लेटे ही लेटे आँख…
Read MoreDaily Musings : 42

गज़ल – निदा फ़ाज़ली
सफ़र को जब भी किसी दास्तान में रखना क़दम यक़ीन में मंज़िल गुमान में रखना जो साथ है वही घर का नसीब है लेकिन जो खो गया है उसे भी मकान में रखना जो देखती हैं निगाहें वही नहीं सब कुछ ये एहतियात भी अपने बयान में रखा वो एक ख़्वाब जो चेहरा कभी नहीं बनता बना के चाँद…
Read More
कुछ अशआर, नज़्म – निदा फ़ाज़ली
यूँ लग रहा है जैसे कोई आस-पास है वो कौन है जो है भी नहीं और उदास है मुमकिन है लिखने वाले को भी ये ख़बर न हो क़िस्से में जो नहीं है वही बात ख़ास है चलता जाता है कारवान-ए-हयात इब्तिदा क्या है इंतिहा क्या है ख़ुद से मिलने का चलन आम नहीं है वर्ना अपने…
Read Moreदेखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ – निदा फ़ाज़ली
देखा हुआ सा कुछ है तो सोचा हुआ सा कुछ हर वक़्त मेरे साथ है उलझा हुआ सा कुछ होता है यूँ भी रास्ता खुलता नहीं कहीं जंगल-सा फैल जाता है खोया हुआ सा कुछ साहिल की गिली रेत पर बच्चों के खेल-सा हर लम्हा मुझ में बनता बिखरता हुआ सा कुछ फ़ुर्सत ने आज…
Read Moreहम्द – निदा फ़ाज़ली
I simply love this poem for its simplicity of words and high philosophy behind this! Very few writers can achieve this! . . . . . . हम्द नील गगन पर बैठे कब तक चाँद सितारों से झाँकोगे। पर्वत की ऊँची चोटी से कब तक दुनिया को देखोगे। आदर्शो के बन्द ग्रन्थों में कब तक…
Read Moreनिदा फ़ाज़ली – चुनिंदा अशआर
ज़िन्दगी की सच्चाइयों को खूबसूरती से पेश करनेवाले निदा फ़ाज़ली मेरी नज़र में उजालों के , उम्मीदों के शायर है और हमारे दिलो में हमेशा ज़िन्दा रहेंगे धूप में निकलो घटाओं में नहाकर देखो ज़िन्दगी क्या है किताबों को हटाकर देखो .. .. .. .. .. .. कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता कहीं…
Read More