रात और चराग़ के दरमियान :मुनीर मोमिन

रात और चराग़ के दरमियान :मुनीर मोमिन

गलियाँ भाग-भाग कर थक गईं और अपने पाँव के छाले मेरी आँखों में रख दिए मेरा अपना ख़्वाब हथेली में … Continue reading रात और चराग़ के दरमियान :मुनीर मोमिन

आजकी पंक्तियाँ :  मुनीर मोमिन

आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन

शाम का जादू हर सुब्ह जब मैं जागता हूँ मुझे शाम की ख़्वाहिश बेचैन करने लगती है और मैं काग़ज़ … Continue reading आजकी पंक्तियाँ : मुनीर मोमिन

आज की पंक्तियाँ:मुनीर मोमिन: ख़्वाब

उर्दू से लिप्यंतरण : मुमताज़ इक़बाल मुनीर मोमिन सुपरिचित, सम्मानित और समकालीन बलोची कवि हैं। उनकी यहाँ प्रस्तुत बलोची नज़्में उनके … Continue reading आज की पंक्तियाँ:मुनीर मोमिन: ख़्वाब