चिराग़ जलते हैं –  सूर्यभानु गुप्त

चिराग़ जलते हैं – सूर्यभानु गुप्त

जिनके अंदर चिराग़ जलते हैं, घर से बाहर वही निकलते हैं। बर्फ़ गिरती है जिन इलाकों में, धूप के कारोबार … Continue reading चिराग़ जलते हैं – सूर्यभानु गुप्त

कुछ चुने हुए शेर:​ सूर्यभानु गुप्त

कुछ चुने हुए शेर:​ सूर्यभानु गुप्त

जिनके नामों पे आज रस्ते हैं वे ही रस्तों की धूल थे पहले …… अन्नदाता हैं अब गुलाबों के जितने … Continue reading कुछ चुने हुए शेर:​ सूर्यभानु गुप्त

हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ –  सूर्यभानु गुप्त

हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ – सूर्यभानु गुप्त

हैज़ा, टी. बी.,चेचक से मरती थी पहले दुनिया मन्दिर, मसजिद, नेता, कुरसी हैं ये रोग अभी के ….. इक मोम … Continue reading हर लम्हा ज़िन्दगी के पसीने से तंग हूँ – सूर्यभानु गुप्त