कौन तुम मेरे हृदय में? कौन मेरी कसक में नित मधुरता भरता अलक्षित? कौन प्यासे लोचनों में घुमड़ घिर झरता अपरिचित? स्वर्ण-स्वप्नों का चितेरा नींद के सूने निलय में! कौन तुम मेरे हृदय में? अनुसरण निश्वास मेरे कर रहे किसका निरन्तर? चूमने पदचिन्ह किसके लौटते यह श्वास फिर फिर कौन बन्दी कर मुझे अब बँध…
Read MoreAll articles filed in Mahadevi Varma महादेवी वर्मा
मैं अनंत पथ में लिखती जो
मै अनंत पथ में लिखती जो सस्मित सपनों की बाते उनको कभी न धो पायेंगी अपने आँसू से रातें! उड़् उड़ कर जो धूल करेगी मेघों का नभ में अभिषेक अमिट रहेगी उसके अंचल- में मेरी पीड़ा की रेख! तारों में प्रतिबिम्बित हो मुस्कायेंगी अनंत आँखें, हो कर सीमाहीन, शून्य में मँडरायेगी अभिलाषें! वीणा होगी…
Read More