Poems of Kabir : कबीर बानी

Poems of Kabir : कबीर बानी

मन मस्त हुआ तब क्यों बोले। हीरा पायो गाँठ गठियायो, बार बार वाको क्यों खोले। हलकी थी तब चढ़ी तराजू, … Continue reading Poems of Kabir : कबीर बानी

कबीर बानी-Poems of Kabir

कबीर बानी-Poems of Kabir

मुरली बजत अखंड सदा से, तहाँ प्रेम झनकारा है। प्रेम-हद तजी जब भाई, सत लोक की हद पुनि आई। उठत … Continue reading कबीर बानी-Poems of Kabir