गीत मेरे गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन। एक दुनिया है हृदय में, मानता हूँ,वह घिरी तम से, इसे भी जानता हूँ,छा रहा है किंतु बाहर भी तिमिर-घन,गीत मेरे, देहरी का दीप-सा बन। प्राण की लौ से तुझे जिस काल बारुँ,और अपने कंठ पर तुझको सँवारूँ,कह उठे संसार, आया ज्योति का क्षण,गीत मेरे, देहरी का…
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