प्रतिकार
जो कुछ भी था जहाँ-तहाँ हर तरफ़ शोर की तरह लिखा हुआ उसे ही लिखता मैं संगीत की तरह। - मंगलेश डबराल (1990) प्रतिनिधि कविताएँ
जो कुछ भी था जहाँ-तहाँ हर तरफ़ शोर की तरह लिखा हुआ उसे ही लिखता मैं संगीत की तरह। - मंगलेश डबराल (1990) प्रतिनिधि कविताएँ