बारिश के रंग : प्रमोद पाठक

बारिश के रंग

बारिश के रंग जिस तरह
फूल-पत्तियों और घासों में खिलते हैं
ठीक उसी तरह
हमारे हाथों में खिलते हैं
जिस तरह भीगती लकड़ी पर
कुकुरमुत्ते उग आते हैं
हमारे भीगे हुए हाथों में छाते उग आते हैं
इस तरह भीगती लकड़ी से मुलायम हुए हाथ
अपना छाता लिए
दूसरे भीगते हुए हाथों की तरफ़ झुक जाते हैं
फिर एक छाते में दो जोड़ी हाथ साथ-साथ चलते हैं
कुछ-कुछ भीगते कुछ कुछ मुलायम होते
बारिश उन हाथों में भीगने का रंग भरती है
और वे हाथ
फूल-पत्तियों और घासों की तरह खिल उठते हैं

~ प्रमोद पाठक (Born 1974)

source: sadaneera.com

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