My favourites are 3’rd, 5’th & 6’th sher.
छलक रही है मय-ए-नाब तिश्नगी के लिए सँवर रही है तिरी बज़्म बरहमी के लिए नहीं नहीं हमें अब तेरी जुस्तुजू भी नहीं तुझे भी भूल गए हम तिरी ख़ुशी के लिए जो तीरगी में हुवैदा हो क़ल्ब-ए-इंसाँ से ज़िया-नवाज़ वो शोला है तीरगी के लिए कहाँ के इश्क़-ओ-मोहब्बत किधर के हिज्र ओ विसाल अभी तो लोग तरसते हैं ज़िंदगी के लिए जहान-ए-नौ का तसव्वुर हयात-ए-नौ का ख़याल बड़े फ़रेब दिए तुम ने बंदगी के लिए मय-ए-हयात में शामिल है तल्ख़ी-ए-दौराँ जभी तो पी के तरसते हैं बे-ख़ुदी के लिए ~ ज़ेहरा निगाह (Published in 1980)
मय-ए-नाब = neat wine तिश्नगी = thirst, desire, longing
बज़्म = assembly, meeting, feast
तीरगी = darkness, gloom हुवैदा = clear, manifest क़ल्ब-ए-इंसाँ = human heart
ज़िया-नवाज़ = granting light
जहान-ए-नौ = new world तसव्वुर = imagination, contemplation, reflection, conception
हयात-ए-नौ = new life
मय-ए-हयात = wine of existence तल्ख़ी-ए-दौराँ = bitterness of the times
source & meanings : rekhta.org