उदासी के काले, धूंधले, ठंडे थपेडों के बीच ये कौन सा सफ़र बीत रहा है? एक संकरी गली से गुज़र रहे है जिसका कोई अंत नज़र नहीं आ रहा शब्द अपने हाथ-पाँव तूडवा के बैठे है और माइने ढूँढने लगे हैं अपने वजूद को दिशाशून्यता कहीं दिशाहीनता ना बन जाए! ~ नेहल
उदासी के काले, धूंधले, ठंडे थपेडों के बीच ये कौन सा सफ़र बीत रहा है? एक संकरी गली से गुज़र रहे है जिसका कोई अंत नज़र नहीं आ रहा शब्द अपने हाथ-पाँव तूडवा के बैठे है और माइने ढूँढने लगे हैं अपने वजूद को दिशाशून्यता कहीं दिशाहीनता ना बन जाए! ~ नेहल