करवटें लेंगे बूँदों के सपने : नागार्जुन

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करवटें लेंगे बूँदों के सपने

अभी-अभी  
कोहरा चीरकर चमकेगा सूरज  
चमक उठेंगी ठूँठ की नंगी-भूरी डालें  

अभी-अभी  
थिरकेगी पछिया बयार  
झरने लग जायेंगे नीम के पीले पत्ते  

अभी-अभी 
खिलखिलाकर हँस पड़ेगा कचनार  
गुदगुदा उठेगा उसकी अगवानी में  
अमलतास की टहनियों का पोर-पोर  

अभी-अभी  
करवटें लेंगे बूँदों के सपने  
फूलों के अन्दर  
फलों-फलियों के अन्दर  

~ नागार्जुन

(1964)