बच्चे बार-बार रटते हैं पाठ
एक ही बात दुहराते हैं बार-बार
इस तरह कि
सुनने वाले भी ऊब जाएँ
लेकिन वे एक बार भी नहीं रुकते
मना करने पर और ज़ोर से आवाज़ लगाते हैं
आश्चर्य है कि
अपनी आवाज़ सुनाने की ये ज़िद
धीरे-धीरे लुप्त कहाँ हो जाती है!
~ शंकरानंद ( Born 1983 )
source : hindwi.org