अश्कों में जो पाया है, वो गीतों में दिया है
इस पर भी सुना है, कि ज़माने को गिला है
जो तार से निकली है, वो धुन सबने सुनी है
जो साज़ पे गुज़री है, वो किस दिल को पता है
……

ज़िन्दगी से उन्स है
हुस्न से लगाव है
धड़कनों में आज भी इश़्क का अलाव है
दिल अभी बुझा नहीं

रंग भर रहा हूँ मैं
ख़ाका ए-हयात में
आज भी हूँ मुन्हमिक
फ़िक्रे-कायनात में
ग़म अभी लुटा नहीं

हर्फ़े-हक अज़ीज़ है
ज़ुल्म नागवार है
अहदे-नौ से आज भी
अहद उस्तुवार है
मैं अभी मरा नहीं
साहिर लुधियानवी
( संपादक : प्रकाश पंडित, सह-संपादक : सुरेश सलिल)

उन्स = प्रेम, अनुराग ख़ाका ए-हयात = जीवन चित्र मुन्हमिक = व्यस्त फ़िक्रे-कायनात = जग की चिंता
हर्फ़े-हक = सच्ची बात अहदे-नौ = नया ज़माना अहद = बात, वादा उस्तुवार = पक्का