अब तक सब कुछ याद है!
सफेद कुर्ते पर नीला पश्मीना ओढे
तुमने जब खिडकी से बरामदे में
झाँका था
तुम्हारी नज़र से बतीयाने में
मेरी गोटेवाली जूती सरक गई!
हवा में अपनी उडान रोक
परांदे थम से गए, तो
चोटियाँ गुस्से से आके लिपट गई ।
फूलकारी दुपट्टा संभालने में
कंगना और झुमके में
तू-तू मैं-मैं हो गई ।
पीछे से माँ की आवाज आई;
तेरी सहेली को देखने
अपना दूर का रिश्तेदार आया है ।
गुनगुनाती पायल सलाखें बन गई!
प्यासे घडों को लेकर
हम कूएँ की ओर चल दिए ।
-नेहल