पिछली रातों में
जब ठंडी हवाएँ चलती है,
अकेलेपन की!
तब आके लिपट जाती है,
नरम गर्म कम्बलों सी
तुम्हारी याद!
-नेहल
Growing Time…in Words!
पिछली रातों में
जब ठंडी हवाएँ चलती है,
अकेलेपन की!
तब आके लिपट जाती है,
नरम गर्म कम्बलों सी
तुम्हारी याद!
-नेहल