थक चुके
इस प्यास की सिलवटें
गिनते गिनते
आओ
इन सिलवटों के समंदर में
डूब जाते हैं…
शायद
ये इश्क
नाव बनकर
उभर आए ।
-नेहल
थक चुके
इस प्यास की सिलवटें
गिनते गिनते
आओ
इन सिलवटों के समंदर में
डूब जाते हैं…
शायद
ये इश्क
नाव बनकर
उभर आए ।
-नेहल
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