वसंत के ख्वाब – नेहल

आज बादल जम कर बरसे,
ज़मींको अपनी नमीं से भर दिया।
अपने सारे ख्वाब ज़मींकी छातिमें उडेल दिये।

अब धरती बुन रही है हरे हरे मौज़ॆ,
ख्वाब जो पनप रहे है उसके अंदर!!

वसंत ले कर आएगा बधाई,

अब तो बस ईन्द्रधनु बाँट रहा है
रंग-रंगी मिठाईयाँ!!
-नेहलimage

One thought on “वसंत के ख्वाब – नेहल

  1. नेहल ये हुई ना बात, नंदीप भाई ने उत्साह भर दिया जो छलक रहा है।

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